Category: बच्चों की परवरिश
By: Salan Khalkho | ☺6 min read
अगर आप यह जानना चाहते हैं की आप के चहेते फ़िल्मी सितारों के बच्चे कौन से स्कूल में पढते हैं - तो चलिए हम आप को इसकी एक झलक दिखलाते हैं| हम आप को बताएँगे की शाह रुख खान और अक्षय कुमार से लेकर अजय देवगन तक के बच्चे कौन कौन से स्कूल से पढें|

यह हर माँ-बाप का सपना होता है की उनका बच्चा बढ़िया से बढ़िया स्कूल में पढें। माँ बाप को बड़ी मशकत करनी पड़ती है इस बात का निर्धारण करने में की अपने बच्चों को किस स्कूल में भेजें। हमारे लोकप्रिय अभिनेताओं के साथ भी यही है। अपने बच्चों के लिए अच्छे स्कूल का चुनाव करना उनके लिए भी अच्छा खासा मुश्किल काम है। बहुत से अभिनेता अपने बच्चों को विदेश के बोर्डिंग स्कूल में भेज देते हैं तो कुछ भारत के ही नमी गिरामी स्कूल में अपने बच्चों को पढाते हैं।
यह जिज्ञासा तो हम सब को होती है की हम जाने की हमारे लोकप्रिय अभिनेताओं के बच्चे किस स्छोल में पढते हैं। अगर आप यह जानना चाहते हैं की आप के चहेते फ़िल्मी सितारों के बच्चे कौन से स्कूल में पढते हैं - तो चलिए हम आप को इसकी एक झलक दिखलाते हैं। हम आप को बताएँगे की शाह रुख खान और अक्षय कुमार से लेकर अजय देवगन तक के बच्चे कौन कौन से स्कूल से पढें।
यहाँ पे हमने आप के जानकारी के लिए एक लिस्ट तयार किया है। ये लिस्ट है कुछ लोकप्रिय अभिनेताओं का जिन्होंने अपने बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर विकल्प ढूंडा।
1. नव्या नवेली नंदा

पेरेंट्स: निखिल नंदा और श्वेता बच्चन नंदा
नव्या नवेली नंदा की माँ श्वेता बच्चन नंदा हैं जो की बॉलीवुड फिल्मो के बादशा अमिताभ बच्चन की बेटी हैं। नव्या नंदा ने London के Sevenoaks School से अपना ग्रेजुएशन (स्नातक) किया।. यह वही स्कूल है जहाँ से फ़िल्मी अभिनेता शाह रुख खान के बेटे आर्यन खान ने भी अपनी पढ़ाई पूर्ण की। इसमें कोई शक नहीं की दोनों ही असल जिंदगी में बहुत अच्छे मित्र हैं। - होना भी चाहिए।
2. आर्यन खान

पेरेंट्स: शाह रुख खान और गौरी खान
आर्यन खान की स्कूली शिक्षा दीक्षा मुंबई के नमी गिरामी धीरूभाई अम्बानी स्कूल में हुई। आर्यन खान ने अभी हाल ही मैं अपना ग्रेजुएशन (स्नातक) London के Sevenoaks School से पूर्ण किया। आर्यन एक बहुत ही बेहतरीन खिलाडी है। साथ ही वो Taekwondo भी सीख रहा है और उन्होंने कई प्रतिस्पर्धएँ (Taekwondo) भी जीती हैं।
3. सुहाना खान

पेरेंट्स: शाह रुख खान और गौरी खान
सुहाना भी अपने भाई की तरह मुंबई के नमी गिरामी धीरूभाई अम्बानी स्कूल से अपनी पढ़ाई कर रही हैं। उन्हें भी खेल कूद बहुत पसंद है। वो बहुत चाव से फुटबॉल खेलती हैं। साथ ही वो taekwondo, dancing, और story writing का भी अभ्यास कर रही हैं। उन्हें क्रिकेट बहुत पसंद है और शायद ही उन्होंने IPL का कोई match miss किया होगा।
4. आरव कुमार

पेरेंट्स: अक्षय कुमार और ट्विंकल खन्ना
आरव कुमार बहुत ही उम्दा अभिनेता अक्षय कुमार और ट्विंकल खन्ना के बेटे हैं। आरव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के जुहू में स्थित Ecole Mondiale World School से किया। इन्हे भी खेल में बहुत रूचि है। Kudo, Okinawa and Goju Ryu Karate Do में इन्होने कई first degree black belt भी जीते हैं।
5. जहान्वी कपूर

पेरेंट्स: बोनी कपूर और श्रीदेवी
जहान्वी कपूर, बोनी कपूर और श्रीदेवी की सबसे बड़ी बेटी हैं। वो मुंबई के धीरूभाई अम्बानी स्कूल से अपनी पढ़ाई कर रही हैं। पढ़ाई के साथ साथ वो अमेरिका - लॉस एंजेलेस के The Lee Strasberg Theatre & Film Institute से एक्टिंग की ट्रेनिंग भी ले रही हैं।
6. ख़ुशी कपूर

पेरेंट्स: बोनी कपूर और श्रीदेवी
ठीक अपनी बड़ी बहन जहान्वी कपूर की तरह, ख़ुशी कपूर भी अपनी पढ़ाई मुंबई के धीरूभाई अम्बानी स्कूल से कर रही हैं।
7. सारा अली खान

पेरेंट्स: सैफ अली खान और अमृता सिंह
सैफ अली खान और उनकी पहली पत्नी अमृता सिंह की बेटी हैं सारा अली खान। इन्होने अपना स्नातक (graduation) अमेरिका - न्यूयोर्क (NYC) के Columbia यूनिवर्सिटी से किया - क्योँकि इनके पिता सैफ अली खान चाहते थे की उनकी बेटे हिंदी फिल्मो की दुनिया में कदम रखने से पहले अपनी पढ़ाई पूरी कर लें।
8. इब्राहिम अली खान

पेरेंट्स: सैफ अली खान और अमृता सिंह
इब्राहिम अली खान, सारा अली खान के छोटे भाई हैं। इन्होने अपनी पढ़ाई मुंबई के धीरूभाई अम्बानी स्कूल से पूरी की। इब्राहिम अली खान खेल कूद में काफी एक्टिव हैं। इब्राहिम अली खान और आरव कुमार (अक्षय कुमार के बेटे) दोनों अच्छे दोस्त हैं। इनके दोस्तों में श्रीदेवी की बेटी ख़ुशी और अनुराग कश्यप की बेटी आलिया भी समलित हैं।
9. नयसा देवगन (Nysa Devgn)
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पेरेंट्स: अजय देवगन और काजोल
नयसा देवगन के माता पिता हैं स्टार जोड़ी अजय देवगन और काजोल। नयसा देवगन अपनी पढ़ाई मुंबई के Ecole Mondiale World School से कर रही हैं। ये पढ़ने में बहुत तेज़ हैं और इन्हे तैराकी का बड़ा शौक है।
10. कृष्णा श्रॉफ

पेरेंट्स: जैकी श्रॉफ और आएशा श्रॉफ
बेहद खूबसूरत कृष्णा श्रॉफ, जैकी श्रॉफ और आयेशा श्रॉफ की बेटी हैं। इन्होने अपनी पढ़ाई मुंबई के American School of Bombay से की। इनके भाई टाइगर श्रॉफ ने भी अपनी पढ़ाई इसी स्कूल से की। कृष्णा श्रॉफ को फिल्मे डायरेक्ट करने का बहुत शौक है। उन्होंने अभी हाल ही में Black Sheep on the trans-gender community पे आधारित एक फिल्म को खुद ही शूट किया है।
दिल्ली की सॉफ्टवेयर काम करने वाले दिलीप ने अपनी जिंदगी को बहुत करीब से बदलते हुए देखा है। बात उन दिनों की है जब दिलीप और उनकी पत्नी रेखा अपनी पहली संतान के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। नन्हे से बच्चे की जन्म तक सब कुछ ठीक चला लेकिन उसके बाद एक दिन अचानक….
बच्चो में दांत सम्बंधी समस्या को लेकर अधिकांश माँ बाप परेशान रहते हैं। थोड़ी से सावधानी बारात कर आप अपने बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत को घर पे ही ठीक कर सकती हैं। चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए दांतों का बहुत ही महत्व होता है। इसीलिए अगर बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत हों तो माँ बाप का परेशान होना स्वाभाविक है। बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत उनके चेहरे की खूबसूरती को ख़राब कर सकते हैं। इस लेख में हम आप को बताएँगे कुछ तरीके जिन्हें अगर आप करें तो आप के बच्चों के दांत नहीं आयेंगे टेढ़े-मेढ़े। इस लेख में हम आप को बताएँगे Safe Teething Remedies For Babies In Hindi.
बच्चों को UHT Milk दिया जा सकता है मगर नवजात शिशु को नहीं। UHT Milk को सुरक्षित रखने के लिए इसमें किसी भी प्रकार का preservative इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह बच्चों के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित है। चूँकि इसमें गाए के दूध की तरह अत्याधिक मात्र में पोषक तत्त्व होता है, नवजात शिशु का पाचन तत्त्व इसे आसानी से पचा नहीं सकता है।
अगर बच्चे में उन्माद या अवसाद की स्थिति बहुत लंबे समय तक बनी रहती है या कई दिनों तक बनी रहती है तो हो सकता है कि बच्चा बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) इस समस्या से पीड़ित है। कुछ दुर्लभ घटनाओं में बच्चे में उन्माद और अवसाद दोनों के लक्षण एक ही वक्त में तेजी से बदलते हुए देखने को मिल सकते हैं।
जलशीर्ष यानी Hydrocephalus एक गंभीर बीमारी है जो शिशु के विकास को प्रभावित कर सकती है और उसके मस्तिष्क को हमेशा के लिए नुक्सान पहुंचा सकती है। गर्भावस्था के दौरान कुछ सावधानियां बारत कर आप अपने शिशु को जलशीर्ष (Hydrocephalus) से बचा सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान अपच का होना आम बात है। लेकिन प्रेगनेंसी में (बिना सोचे समझे) अपच की की दावा लेना हानिकारक हो सकता है। इस लेख में आप पढ़ेंगी की गर्भावस्था के दौरान अपच क्योँ होता है और आप घरेलु तरीके से अपच की समस्या को कैसे हल कर सकती हैं। आप ये भी पढ़ेंगी की अपच की दावा (antacids) खाते वक्त आप को क्या सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।
हमारी संस्कृति, हमारे मूल्य जो हमे अपने पूर्वजों से मिली है, अमूल्य है। भारत के अनेक वीरं सपूतों (जैसे की सुभाष चंद्र बोस) ने अपने खून बहाकर हमारे लिए आजादी सुनिश्चित की है। अगर बच्चों की परवरिश अच्छी हो तो उनमें अपने संस्कारों के प्रति लगाव और देश के प्रति प्रेम होता है। बच्चों की अच्छी परवरिश में माँ-बाप की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। बच्चों की शिक्षा स्कूल से नहीं, वरन घर से शुरू होती है। आज हम आजादी की खुली हवा में साँस लेते हैं, तो सिर्फ इसलिए क्यूंकि क्रन्तिकरियौं ने अपने भविष्य को ख़त्म कर हमारे भविष्य को सुरक्षित किया है। उनके परित्याग और बलिदान का कर्ज अगर हमे चुकाना है तो हमे आने वाली पीड़ी को देश प्रेम का मूल्य समझाना होगा। इस लेख में हम आप को बताएँगे की किस तरह से आप सुभाष चंद्र बोस की जीवनी से अपने बच्चों को देश भक्ति का महत्व सिखा सकती हैं।
डिस्लेक्सिया (Dyslexia) से प्रभावित बच्चों को पढाई में बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है। ये बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं। डिस्लेक्सिया (Dyslexia) के लक्षणों का इलाज प्रभावी तरीके से किया जा सकता है। इसके लिए बच्चों पे ध्यान देने की ज़रुरत है। उन्हें डांटे नहीं वरन प्यार से सिखाएं और उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करें।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार चार से छह महीने पे शिशु शिशु का वजन दुगना हो जाना चाहिए। 4 महीने में आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए ये 4 बातों पे निर्भर करता है। शिशु के ग्रोथ चार्ट (Growth charts) की सहायता से आप आसानी से जान सकती हैं की आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए।
पीट दर्द को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए| आज के दौर में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चों को भी पीठ दर्द का सामना करना पद रहा है| नाजुक सी नन्ही उम्र से ही बच्चों को अपने वजन से ज्यादा भारी बैग उठा के स्कूल जाना पड़ता है|
संगती का बच्चों पे गहरा प्रभाव पड़ता है| बच्चे दोस्ती करना सीखते हैं, दोस्तों के साथ व्यहार करना सीखते हैं, क्या बात करना चाहिए और क्या नहीं ये सीखते हैं, आत्मसम्मान, अस्वीकार की स्थिति, स्कूल में किस तरह adjust करना और अपने भावनाओं पे कैसे काबू पाना है ये सीखते हैं| Peer relationships, peer interaction, children's development, Peer Influence the Behavior, Children's Socialization, Negative Effects, Social Skill Development, Cognitive Development, Child Behavior
अकॉर्डियन पेपर फोल्डिंग तकनीक से बनाइये घर पे खूबसूरत सा मोमबत्ती स्टैंड| बनाने में आसान और झट पट तैयार, यह मोमबत्ती स्टैंड आप के बच्चो को भी बेहद पसंद आएगा और इसे स्कूल प्रोजेक्ट की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है|
अगर आप आपने कल्पनाओं के पंखों को थोड़ा उड़ने दें तो बहुत से रोचक कलाकारी पत्तों द्वारा की जा सकती है| शुरुआत के लिए यह रहे कुछ उदहारण, उम्मीद है इन से कुछ सहायता मिलेगी आपको|
बच्चों का नाख़ून चबाना एक बेहद आम समस्या है। व्यस्क जब तनाव में होते हैं तो अपने नाखुनो को चबाते हैं - लेकिंग बच्चे बिना किसी वजह के भी आदतन अपने नाखुनो को चबा सकते हैं। बच्चों का नाखून चबाना किसी गंभीर समस्या की तरफ इशारा नहीं करता है। लेकिन यह जरुरी है की बच्चे के नाखून चबाने की इस आदत को छुड़ाया जाये नहीं तो उनके दातों का shape बिगड़ सकता है। नाखुनो में कई प्रकार के बीमारियां अपना घर बनाती हैं। नाख़ून चबाने से बच्चों को कई प्रकार के बीमारी लगने का खतरा बढ़ जाता है, पेट के कीड़े की समस्या तथा पेट दर्द भी कई बार इसकी वजह होती है।
6 माह से 1 साल तक के शिशु को आहार के रूप में दाल का पानी,चावल का पानी,चावल,सूजी के हलवा,चावल व मूंग की खिचड़ी,गूदेदार, पके फल, खीर, सेरलेक्स,पिसे हुए मेवे, उबले हुए चुकंदर,सप्ताह में 3 से 4 अच्छे से उबले हुए अंडे,हड्डीरहित मांस, भोजन के बाद एक-दो चम्मच पानी भी शिशु को पिलाएं।
शिशु जब 6 month का होता है तो उसके जीवन में ठोस आहार की शुरुआत होती है। ऐसे में इस बात की चिंता होती है की अपने बच्चे को ठोस आहार में क्या खाने को दें। जानिए 6 से 12 माह के बच्चे को क्या खिलाएं
कुछ बातों का अगर आप ख्याल रखें तो आप अपने बच्चों को गर्मियों के तीखे तेवर से बचा सकती हैं। बच्चों का शरीर बड़ों की तरह विकसित नहीं होता जिसकी वजह से बड़ों की तुलना में उनका शरीर तापमान को घटाने और रेगुलेट करने की क्षमता कम रखता है।
हैजा (कॉलरा) वैक्सीन के द्वारा आप अपने बच्चे को पूरी तरह हैजा/कॉलरा (Cholera) से बचा सकते हैं। हैजा एक संक्रमक (infectious) रोग हैं जो आँतों (gut) को प्रभावित करती हैं। जिसमें बच्चे को पतला दस्त (lose motion) होने लगता हैं, जिससे उसके शरीर में पानी की कमी (dehydration) हो जाती हैं जो जानलेवा (fatal) भी साबित होती हैं।
सबसे ज्यादा बच्चे गर्मियों के मौसम में बीमार पड़ते हैं और जल्दी ठीक भी नहीं होते| गर्मी लगने से जहां एक और कमजोरी बढ़ जाती है वहीं दूसरी और बीमार होने का खतरा भी उतना ही अधिक बढ़ जाता है। बच्चों को हम खेलने से तो नहीं रोक सकते हैं पर हम कुछ सावधानियां अपनाकर उनको गर्मी से होने वाली बीमारियों से जरूर बचा सकते हैं |
अंडे से एलर्जी होने पर बच्चों के त्वचा में सूजन आ जाना , पूरे शरीर में कहीं भी चकत्ता पड़ सकता है ,खाने के बाद तुरंत उलटी होना , पेट में दर्द और दस्त होना , पूरे शरीर में ऐंठन होना , पाचन की समस्या होना, बार-बार मिचली आना, साँस की तकलीफ होना , नाक बहना, लगातार खाँसी आना , गले में घरघराहट होना , बार- बार छीकना और तबियत अनमनी होना |